Saturday, September 5, 2009

तोडॊ मुझको

तो़डॊ़ मुझको
कबतक तोडॊगी
टूट गया हूं
अपनॆ पन से
मोड लिया हूं
तेरे मन से ।

(प्रकाश त्रिपाठी)

Wednesday, September 2, 2009

रहिमन

रहिमन देख बडॆ़न को लघु न दीजिये डार ।
जहां काम आये सुई कहां करे तरवारि ॥

Sunday, August 23, 2009

मेरी पहली पोस्ट

मित्रों,

आज मैने पहली बार इण्टरनेट की दुनिया में ब्लॉग के माध्यम से कदम रखा है। साहित्यिक पत्रिका वचन के सम्पादक एवं महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा की हिन्दी त्रैमासिक बहुवचन के सह-संपादक के रूप में हिन्दी की सेवा में लगा हूँ। अब इस तकनीकी क्रान्ति के काल में स्वयं को अन्तर्जाल पर प्रस्तुत करने की मेरी कोशिश आपके सक्रिय सहयोग से पुष्पित पल्लवित होगी।

(प्रकाश त्रिपाठी)